ईश्क है खांडे की धार, चढे कोई सूर मतवारा 
1. इश्क की रित बतलादूं,
1. इश्क की रित बतलादूं,
        खोलकर तोहे समझा दूं
जैसी हो तैसी ही गा दूं, बता दूं भेद अब सारा ........
जैसी हो तैसी ही गा दूं, बता दूं भेद अब सारा ........
2. चढा वै राज की घाटी,
        हाथ ले ज्ञान की लाठी
काल की फौज सब डाटी, कर्म ओर भ्रम को मारा ........
काल की फौज सब डाटी, कर्म ओर भ्रम को मारा ........
3. मिलै गुरु सच्चिदानंद दाता,
        गुरु बिन भेद ना पाता
दास गोपाल न्यू गाता, उसे भव सिंधू से तारा ........
दास गोपाल न्यू गाता, उसे भव सिंधू से तारा ........