देखो मेरे बाबा, संत करे हैं बादशाही
1. दया मेहर ओर शब्द मुलक है, समझ की गलियां यांही
निश्चय नाम तख्त पर बैठे, रजा दाम सा यांही .........
1. दया मेहर ओर शब्द मुलक है, समझ की गलियां यांही
निश्चय नाम तख्त पर बैठे, रजा दाम सा यांही .........
2. सत की तोप ज्ञान का गोला, प्रीति की चकमक लाई
प्रेम सिपाही लडऩे लागे, भ्रम की बुर्जां ठाई .........
3. पांच पच्चीसों पकड़ मंगाए, भेजे शील सिपाही
छ: मा कैद में डाल दिया, जिन्दे मुर्दे यांही .........
4. काया नगर का राज करत है, मुलक बहुत सा यांही
जहां तीन लोक के नाथ विराजे, सोधी बिरला पाई .........
5. निर्भय राज दिए सतगुरु नै हरी-हरी मोती आई
घीसा सन्त पर कृपा हुई, जद अटल बादशाही पाई .........