तर्ज : बता मेरे यार सुदामा रै भाई घणे दिना मैं आया
तूं बाबू कहन्या लखाइए रे, वो सारा दिन खेत कमावै
1. भोले माणस नै कमा कमा के झोड़ा कर लिया गात का
गर्मी सर्दी धूप ओर छाया दिन का बेरा ना रात का
माता घरां बीमार पड़ी कोए ना उसके साथ का
दुख आवेगा एक ए छोरा वो भी रहया ना हाथ का
उसका ब्रह्म दुखाईए रे, वो सारा दिन खेत कमावै
2. हस्से पते नैं लेके किल्ले से, पेट बिचारा पाले सै
करे किराया बलदा गेल्यां किसे की बाड़ी हाले सै
कर्जा मांगण आल्यां नै ना बेरा क्यूकर टाले सै
हद सै छाती अकेला माणस सारे काम सम्भाले सै
तुं अपना फर्ज निभाइए रे, वो सारा दिन खेत कमावै
3. घणा बड़ा ना बिजनेस अपणा छोटी सी जमींदारी सै
तेरा माचणा ठीक नहीं बेबे घरां कंवारी सै
गलत लखावे मेरे कान्या, जिनकी गेल तेरी यारी सै
रोज उल्हाणे ल्यावण लाग्या यो भी दुख मन्नैं भारी सै
जरा सा इब शर्माइए रै, वो सारा दिन खेत कमावै
4. पढ़ण लिखण के दिन सै तेरे फेर पाच्छे पछतावैगा
बुढ़ा होग्या बाप बेचारा यो के सदा कमावेगा
जिम्मेवारी पड़े तेरे पै बोझ एकदम आवेगा
काम करे बिन पेट भरै ना कै दिन गात बचावेगा
किमे इब करके दिखाइए रे, वो सारा दिन खेत कमावै
5. छोटा भाई तूं मेरा लाडला मेरा फर्ज समझाणा सै
लूटग्या घर बीमारी मैं मां के रोग पुराणा सै
कई दिन होगे बिचारी का छुट रया पीणा खाणा सै
डाक्टर देगे जवाब रै सारे मुश्किल इसे बचाणा सै
तूं इनका कर्ज चुकाइए रै, वो सारा दिन खेत कमावै
6. मां जाइ मन्नैं कसम तेरी गलत किते भी पाज्यां तै
कोन्या शक्ल दिखाउं तन्नैं मेरा उल्हाणा आज्या तै
मान ज्याइए मां बाब्बू का नाम जै अमर कराज्या तै
सतीश मलिक सुलतानपुर आले कविताइ मन भाज्या तै
सभा मैं खुलके गाइए रै वो सारा दिन खेत कमावै
लेखक : सतीश मलिक सुलतानपुर वाले
बोल भजन