मेरे घट मैं करदी रोशनी, दिया भ्रम का ताला खोल

 तर्ज: मेरा नौ डांडी का बीजणा 

मेरे घट मैं करदी रोशनी, दिया भ्रम का ताला खोल
धन धन गोरखनाथ जी

1. मेरे दिल मैं घोर अंधेरा था
ना अपने गैर का बेरा था
मैं तो रह्या भ्रम मैं डोल, धन धन गोरखनाथ जी

2. मैं तो वृथा झगड़े झोऊं था
न्यूं रो रो मैं नैना खोऊं था
दिया बता जन्म का मोल, धन धन गोरखनाथ जी

3. गिरते का सहारा बण गया
इसा हाथ शीश पै धर गया
गया विष मैं अमृत घोल, धन धन गोरखनाथ जी

4. ये जगत मुसाफिर खाना है
एक दिन तो सबको जाना है
नित बजे काल का ढोल, धन धन गोरखनाथ जी

BOL BHAJAN