सत्संग सत्संग कर रहे, सत्संग का ना जानै भाव।
मन के चक्कर में फंस गई आत्मा, करया ना तनिक विचार॥
मन के चक्कर में फंस गई आत्मा, करया ना तनिक विचार॥
सत्संग तो करता जहान है, सत्संग का कहां ठिकाना
1. कौन जगह से सत्संग उपजै, कहां सत्संग का कहिए भाव
कहां पै सत्संग प्रकट होता, कहां पर सत्संग खेले दाव
कहां पर सत्संग गुप्त रहता, कहां सत्संग का है बरताव
कहां सत्संग की खान है कुछ चाहिए भेद बताना.....
2. कौन पिता सत्संग का कहिए किसके घर में जाया है
कौन मात सत्संग की कहिए किसने गोद खिलाया है
कौन नार सत्संग की कहिए, किसके गेल्यां ब्याहया है
सत्संग की कौन संतान है, कित घर कुणबा और लाणा.....
3. कौन से कंवल में ज्ञान बसे, कहां पर पास कराया जा
कौन से कंवल मैं अनुभव जागे कहां पै जोड़ लगाया जा
कौन से कंवल में साज बाजते, कौन से कंवल से गाया जा
कहां बसै रुहानी ज्ञान है, कुछ चाहिए पता लगाना .......
4. कौन शब्द से धुन लागै, कौन से सुरत चढाई जा
कौन शब्द से रटना हौवे, कौन से पकड़ी राही जा
कौन कंवल से सुर्त रमे, कौन सै करी कमाई जा
कित धरती आसमान है, कित रहे छ: सौ मस्ताना........
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