मेरे जागे पूर्बले भाग री, गुरु आन मिले फागन मैं
1. जो पिया पाग रंगो गे रंग मैं,
हम भी चीर रंगागे थारे रंग मैं, दोनों होज्यां एको रंग मैं
कोई धब्बा रहे ना दाग री ........
2. इत्तर गुलाल ज्ञान की होली, फेंकत है पिया भर भर झोली
सुणियो हे मेरे संग की सहेली
सोवण नै द्यो त्याग री, कुछ नफा मिलेगा जागण मैं........
3. ताल मृदंग पखावत बाजै, सब तवआ सब सूर मैं गाजे
मोहन के मुख मुरली बाजै,
कोई गावै छतीसो राग री, सुन हो ज्या बेरागन मैं........
4. फागुन के दिन सुख तै बीते, मैं हारी मेरे साहेब जीते
गंगादास कहे हम भी जीते,
खेल चुके सब फाग री, हंसा क्या करेगा कागन मैं ........
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