फागुन के दिन चार, होली खेलण दे

 फागुन के दिन चार, होली खेलण दे

1. बिन करताल पखावज बाजे, अनहद की झनकार ........

2. बिन स्वर राग छतीसो होवे, रोम रोम रंग सार ........

3. शील संतोष की हे केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार ........

4. उड़त गुलाल लाल भयो बादल, बरसत रंग अपार ........

5. घट के पट सब खोल दिए हैं, लोक लाज सब डार ........

6. होली खेल पिया घर प्यारी, सोई प्रिय पिया नार ........

7. मीरां के प्रभु गिरधर नागर, चरण कमल बलिहार ........



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BOL BHAJAN