पानी मैं मीन प्यासी सुण सुण आवै हांसी

 पानी मैं मीन प्यासी, म्हाने सुण सुण आवै हांसी
घर मैं वस्तु पड़ी नहीं दिखे, बाहर खोजण को जासी

1. आत्म ज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई कासी जी
मृग की नाभि में बले कस्तुरी, वन-वन फिरत उदासी

2. जल विच कमल कमल विच कलियां तां पर भंवर निवासी
सो मन वश त्रिलोक भयो, सब यति सति सन्यासी.....

3. जाका ध्यान धरे विधि हरि हर, मुनि जन सहस अठासी
सो तेरे घट के मांही विराजै, परम पुरुष अविनाशी 

4. है हाजिर तूं दूर बतावै, दूर की बात निराशी 
कह कबीर सुनो भाई साधो, थारा गुरु बिना भ्रम ना जासी



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