तेरे कहां लाग्यो है बाण, बतादे लक्ष्मण भैया
1. मेघनाथ ने बाण चलाया, तेरे सीने बीच समाया
मुर्छित पडय़ा धरण मैं आण .......
2. तूं साथ देण ने आयो, रस्ते मैं प्राण गंवाया
अब मैं ़किस विधि राखूं प्राण .......
3. घर कैसे लोट के जाऊं, माता को क्या बतलाऊं
मेरी अक्ल बड़ी हैरान .......
4. तुम द्रोण गिरी के जाईयो, हनुमान संजीवन ल्याईयो
उगने ना पावै भान .......
5. हनुमान ना अब तक आए, जाने बुटी ढूंढ ना पाए
मेरी आफत मैं फंस गई जान .......
6. जब बुटी ढूंढ ना पाए, तब पर्वत ल्याए उठाए
पंहुचे रामादल में आन .......
7. अब बुटी छान बनाई, लक्ष्मण को घोट पिलाई
मिल रहे दोनों भ्रात .......