मेरी नैया पड़ी मझधार मैं हो सतगुरु, बेड़ी को पार लगाना
1. आपणी मौज खुशी मैं आया, फिर तुने सारा जगत रचाया
सब रच दिया कुड़ संसार में जी, ये एक दिन फनाह हो जाना
2. तीन लोक रचा कुड़ पसारा, कर्म धर्म सब कर कर हारा
कुछ नहीं आता विचार मैं जी, ये जन्मे सो मर ज्याणा.......
3. मैं हंू आत्मदेह बंदा तेरा, क्यों मुझे काल जाल में गेर्या
फंस गया पांच ठगों के बाजार मैं जी, मेरे सिर पर यम का थाना
4. ठाकुर पूज्या टाल बजाई, सब जुग बीत्या बोल्या नाही
किया न्योली कर्म हजारा मैं, नहीं छुटया आना जाना .......
5. पुण्य किया तो स्वर्ग दिखाया, पाप किया तो नरक दिखाया
सतगुरु करता रोज पुकार मैं जी, मैं तो जेली हूं जेल से छुटाना
6. कविराज तेरे नाम का रोगी, शब्द बिना मुक्ति ना होगी
तेरे नाम का था बीमार मैं जी, मुझे वेद मिल्या शाह मस्ताना