इस जगत सराये में, क्यों दिल को लगा बैठा
दो दिन का बसेरा है, जिसे अपना बना बैठा
दो दिन का बसेरा है, जिसे अपना बना बैठा
1. होती है सुबह गाफिल, कर चलने की तैयारी
जहां और गए साथी कभी तेरी भी है बारी
श्वांसों का अमोलक धन पगले क्यों लुटा बैठा ..........
2. ना जाण इसे अपना, दो दिन के लिए आया
ना साथ तेरा देगी, बन्दे जिसमें तुं भरमाया
फंस माया के चक्कर में, सतगुरु को भुला बैठा ..........
3. अब भी है समय बाकी की सतगुरु का भजन करलै
पछताने से क्या होगा, आगे का यत्न करलै
सतगुरु को खोज प्यारे, क्यों मन को डुला बैठा ..........