मैं तो पूर्बिया पूर्व देश का म्हारी हेली हे
म्हारी बोली लख ना कोए म्हारी हेली हे
म्हारी बोली लख ना कोए म्हारी हेली हे
1. म्हारी बोली नै संत वे लखे, जो धुर पूर्व का होय
म्हारे तो महरम का साधु न मिलियां, मैं किन संग करुं स्नेह
2. का तो तिल कोरा भला, का लिजे तेल कढाय
अध विचली कुलर बुरी जो दोनों दीना सूं जाय
म्हारे महरम का साधु न मिलियां मैं किन संग करुं स्नेह
3. हरे पाना की कड़वी बेलड़ी फल जांगा कड़वा होये
वां फलां सतगुरु ना मेटिया नहीं देता कड़वाई वांगी खोय
4. अपने झरोखे बैठ के जोय ले, म्हारी हेली जात वर्ण कुल खोय
शब्द मिलावा हो रहा, देह मिलावा नाम होय म्हारी हेली हे
5. सेल हुआ तो क्या हुआ, चहुं दिशा में फुटी वांस
जब लग बीज अंकुर मैं तबलग उगण की आस
ज्यूं लागै बैलां जले होए बीज को नाश
कह गया कबीरा धर्मीदास नै, फिर ना उगण की आस
Heli Bhajan Shabad By Krishan Khatana Lyrics in hindi