सुरती नाथ बता मेरे चेले, मेने कौन सतावे सै,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
अंग भभुति मेरे रमती कोन्या, लिचड़े स चिकनाई,
घी दूध से स्नान करे बता, कौण से वा लुगाई,
करके कला सवाई रै, मैने कोण डिगावे स,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
अंग भभुति मेरे रमती कोन्या, लिचड़े स चिकनाई,
घी दूध से स्नान करे बता, कौण से वा लुगाई,
करके कला सवाई रै, मैने कोण डिगावे स,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
सुरती नाथ ने सुरती लाली, कौनसे देश में,
जादू खोरी जाल गैरी री, कोन से भेस मैं,
हो गेरे स वा मेरी रेख, जो माने खिलावे स,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
सुरती नाथ नै सुरती लाली, चारों खूंट मैं,
ददरेवा इक गांव बसे सै, बालू रेत मैं,
माता बाछल उसी देश में, तेरी सेवा थारी सै,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।
थर थर कांपे बदन डोलग्या, छागी गणी उदासी,
बेरा ना कब फेर सुनो, थम हे गोरख अविनासी,
जिले सिंह की काटो चोरसी, जो तने बतावे स,
फिरे चोगरदे धुने पे, मैने नजर वा आवे सै।।