Karam Gati Pardhan कर्म गति टलती कोन्या

 कर्मां के अनुसार मनुष की, या बण्या करै तकदीर
कर्म गति टलती कोन्या, चाहे लाख करो तदवीर

1. श्री हरिचंद्र जी के कर्मों नै, देखे के के खेल दिखाया
फौज रिसाले महल खजाने, सब राज पाट छुटवाया
काशी जी मैं जा बिकवाया, बण भरया नीच घर नीर......

2. श्री रामचंद्र जी के जीवन मैं देखे कितनी विपदा आई
तीन लोक का नाथ कुहाया, पर अगम गति ना पाई
रावण नै सीता ठाई, दिखे नकली बणया फकीर.....

3. पांचों पांडूओं के कर्मों ने, रंग बदल्या स्यात स्यात मैं
एक रति भर घटा सकै ना, श्री कृष्ण रहया साथ मैं
के टाल सकै ना अपनी स्यात नै, गया छेद गात न तीर.....

4. नल राजा के कर्मों ने, किसा खोटा कर दिया हाल
अन्न वस्त्र ना मिल्या बख्त पै, करया कोड़ी का कंगाल
आधी साड़ी ले राणी की, फिर अपना ढकया शरीर.....

5. रुप वसंंत न मिल्या दिसोटा, वे ब्होत घणे दुख पाए
कर्मां कारण कंवर वसंत नै, कुरड़ी पै गधे चराये
मिटती कोन्या कभी मिटाए, जो खेंची गई लकीर.....

6. अम्ब राजा का साथ देण नै, पल मैं तकदीर नाटगी
भाड़ झुका दिया भटियारी का, करड़ाई रांद काटगी
चारों की न्यारी जोट पाटगी, गए कित सरवर कित नीर.....

7. वीर विक्रमा के कर्मों ने, देखे पल मैं जाल फैलाया
बिना करी गी चट्टी लागगी, फिर मुश्क बांध गिराया
तेरी घर पै ठाके ल्याया, फिर हांके बैल आखिर.....

8. ओर विधि सै कर्म कटे ना, चाहे कितना जतन बना ले
कर्म कटण की एक विधि सै तूं संत शरण में जाले
नीज नाम शब्द की मोहर लगाले, बणजा अगत जागीर...

9. गणेशा राम तूं जीवन अपणा, सतगुरु के लेखे लादे
मस्ताना जी हैं बड़े दयालू, सुली तै सुल बणादे
तेरा सारा कर्म का खेल मिटादे, पर लागे पता आखिर....

https://www.youtube.com/watch?v=pZ5C1ejUKbM


BOL BHAJAN